पाकुड़/संवाददाता। क्षेत्र के कुंजबोना पंचायत के मुसाबिल गांव के बांदराटोला, दुर्गाटोला, पुसाटोला के आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के लोगों को आज भी बुनियादी सुविधा से महरूम रहना पड़ रहा है। यदि देखा जाये तो आजादी के 73 वर्ष बीत जाने के बाद भी वहां के ग्रामीण शुद्ध पानी व चलने के लिए अच्छे सड़क के लिए तरस रहे हैं। जर्जर सड़क पर चल कर गंदा झरना का पानी पीकर आज भी गुजर बसर कर रहे पहाड़िया समुदाय के लोग जर्जर सड़क पर चलने को मजबूर हैं। कई लोग तो चोटिल भी हो जाते हैं। देखा जाये तो गांव प्रखंड मुख्यालय से 25 किमी दुरी पर बसा है। यहां तीन टोला मिलाकर लगभग 350 की आबादी है।
वहीं ग्राम प्रधान सामु पहाड़िया ने बताया कि हमारे गांव की समस्या को लेकर मुखिया को लिखित मौखिक जानकारी देने पर भी कोई काम नहीं हुआ। यहां तक बीते रघुवर सरकार के कार्यकाल में कुंजबोना में हुई एक जन चौपाल सभा में हम सभी गांव वाले जाकर लिखित कागज दिये, परन्तु अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ।
गांव के रहनेवाले कमलेश पहाड़िया ने कहा कि जन्म से हमलोग आज तक गंदा झरना का पानी पीते हैं जिससे बच्चे से बुजुर्ग लोग बिमार पड़ते हैं। सुरजा पहाड़िया ने कहा कि ग्रामीण के कभी बीमार पड़ने से हमलोग जर्जर सड़क से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, लिट्टीपाड़ा ले जाते जाते मर जाता है। अंदारी पहाड़िया ने कहा कि बिमार पड़े व्यक्ति को ले जाने में हमलोगों का चार पहिया वाहन खटिया के अलावा और कोई व्यवस्था नहीं रहता है। वहीं धनेश्वर पहाडिया ने कहा कि गांव में एक भी चापानल और कुआं नहीं है, सड़क की स्थिति खराब है। ग्रामीणों की मानें तो राज्य का मुखिया जरूरत बदल गया है परन्तु आज तक गांव में विकास की रौशनी नहीं पहुंच पायी है।